" लातों के भूत बातों से नहीं मानते" ताजिये की ऊंचाई पर भड़के CM योगी
सीएम योगी ने ताजिए की ऊंचाई को लेकर वाराणसी में बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा- हाल में जौनपुर में एक बड़ा ताजिया उठाया गया। इस दौरान हाईटेंशन तार की चपेट में आकर 3 की मौत हो गई। उन लोगों ने रास्ता जाम कर दिया। पुलिस वालों ने पूछा- क्या करें? मैंने कहा- लाठी मारकर बाहर करो, क्योंकि ये लातों के भूत बातों से नहीं मानेंगे।
सीएम ने 3 साल पहले की घटना का जिक्र करते हुए कहा- एक जगह आगजनी हुई। मैंने अफसरों से कहा- अभी कार्रवाई रोको और वीडियो फुटेज निकालो। फुटेज में दिखा कि एक व्यक्ति केसरिया गमछा पहनकर पहुंचता है। आगजनी करता है। उस समय उसके मुंह से 'या अल्लाह' निकलता है।
ऐसे छुपे हुए समाज के दुश्मनों को समय रहते चिह्नित करना होगा, जिससे समाज की एकता में बाधक तत्वों को बेनकाब किया जा सके। यही आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
सीएम योगी दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी में हैं। दूसरे दिन वह नमो घाट के बसंता कॉलेज पहुंचे। यहां उन्होंने पौधरोपण किया। इसके बाद बिरसा मुंडा की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए।
हमने नियम बनाया कि सावन के महीने से ठीक पहले मोहर्रम का आयोजन होता है। हमने कहा- ताजिया की ऊंचाई इससे ज्यादा मत रखिए, क्योंकि फिर आप मांग करेंगे कि पेड़ की टहनियां काटें और हाईटेंशन तार हटाएं। एक पेड़ को लगने में 40 से 50 साल लगते हैं। मैंने कहा- यह नहीं होगा।
पहले मोहर्रम का जुलूस आगजनी और उपद्रव का कारण बनता था। बहन-बेटियां सड़कों पर नहीं निकल पाती थीं। उस समय कोई नहीं बोलता था। जब मैंने कहा था कि हाईटेंशन तार की चपेट में आ सकते हो, ताजिया को इससे ऊंचा मत करना। तब सोशल मीडिया पर किसी ने इसका विरोध नहीं किया।
दूसरी तरफ आपने देखा होगा कि कांवड़ यात्रा चल रही है। यात्रा में जाति, क्षेत्र, वर्ग, संप्रदाय का कोई भेद नहीं है। श्रमिक से लेकर उच्च वर्ग तक का व्यक्ति इससे जुड़ा है। सभी 200 से 300 किलोमीटर दूर जल लेने जाते हैं। भक्ति-भाव से चलते हैं, लेकिन उसका भी मीडिया ट्रायल होता है।
कांवड़ यात्रा को बदनाम किया जाता है। उसके बारे में खूब लिखा जाता है। कांवड़ियों को उपद्रवी और आतंकवादी तक बोलने का दुस्साहस होता है। यह वही मानसिकता है, जो हर प्रकार से भारत की विरासत को अपमानित करना चाहती है। ये वही लोग हैं, जिन्होंने जनजातीय लोगों को भड़काने का काम किया।
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ये वही समुदाय है, जो भारत की आस्था का सदैव अपमान करता है। ये वही लोग हैं, जो आज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फेक अकाउंट बना करके समाज में जातीय संघर्ष को बढ़ाना चाहते हैं। ये चीजें दिखाती हैं कि ये कौन लोग हैं, जो समाज में नफरत पैदा करना चाहते हैं।

हमारी सनातन धर्म की परंपरा में कहीं नहीं लिखा है कि जो मंदिर जाएगा, वही हिंदू है। अगर किसी गांव में दो लोगों का मामला है, तो उसके लिए प्रशासन और सिस्टम है। जो उनकी बात को सुलझाएगा। लेकिन अगर तुम बीच में आकर दरोगा बनने की कोशिश करोगे तो पिटोगे।


