करनाल में मजदूर ने शुरू किया है किचन गार्डनर, इन सब्जियों की कर रहे है खेती , ऐसे बदली जिंदगी। ......
कहते हैं की जब मन में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो बड़ी से बड़ी मंजिल को इंसान अपनी मेहनत से हासिल कर सकता है. और ऐसे ही एक व्यक्ति सुरेंद्र सिंह हैं जिन्होंने मजदूर से किचन गार्डन शुरू किया है. हालांकि अभी उन्होंने वो मंजिल हासिल नहीं की है जो की उनका सपना है, लेकिन जिस प्रकार वो मेहनत कर रहे हैं और उन्हें उम्मीद है जल्द ही उनका वो सपना भी पूरा हो जाएगा. तब तक वो इसी तरह से मेहनत करते रहेंगे.
सुरेंद्र सिंह ने बताया पहले वह मजदूरी का काम किया करते थे. 2020 से डॉक्टर राजेंद्र से में जुड़ा उन्होंने ही किचन गार्डन शुरू करवाया था, साथ ही साथ करनाल के तकरीबन 100 गांव में हम महिलाओं को किचन गार्डन के लिए जागरूक भी कर रहे हैं. और पिछले 2 सालों से मैं भी अपना ही किचन गार्डन कर रहा हूं. इससे मेरा रसोई का खर्च हर महीने का बच रहा है. सबसे अच्छी बात तो ये है हम अपने घर और गांव के आसपास जहर मुक्त सब्जी इस्तेमाल कर रहे हैं.
कुरुक्षेत्र से ली ट्रेनिंग
उन्होंने बताया उन्होंने प्रकृति खेती की कुरुक्षेत्र से भी ट्रेनिंग ली है और करनाल एनडीआरआई से भी ट्रेनिंग ली है. घरौंडा स्थित सब्जी उत्कृष्ट केंद्र से भी ट्रेनिंग लेकर मैंने किचन गार्डन का काम शुरू किया है. मेरे काम को देखते हुए 29 मई से 12 जून तक विकसित भारत कृषि अभियान चला हुआ था एनडीआरआई के निर्देशक भी हमारे किचन गार्डन को देखने के लिए पहुंचे थे.
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200 गज के प्लॉट में की खेती
किसान सुरेंद्र ने बताया हालांकि उन्हें अभी इनकम कम हो रही है, लेकिन मैंने पिछले साल अपने 200 गज के प्लाट में 60 गज में हल्दी की खेती से कमाई करके उससे मैंने एक इलेक्ट्रिक स्कूटी भी ले ली है.उन्होंने कहा मेरे प्लाट में हल्दी, शिमला मिर्च, घीया, तोरी, गन्ना भी लगाया हुआ है और तीन वैरायटी की हल्दी भी लगाई हुई है.
काली हल्दी की भी खेती
उन्होंने बताया एक वैरायटी केरल से मंगवाई है. इस बार, अगर ठीक तरीके से उसकी देखभाल करेंगे तो अधिक मुनाफा होगा. काली हल्दी भी लगाई है. किसान ने बताया मजदूरी वो पहले भी करते थे अब भी करते हैं, लेकिन घर चलाने में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. कई बार जब में सब्जी लेने के लिए भी पैसे नहीं होते थे और जब से मैं किचन गार्डन कर रहा हूं तब से मेरे घर की सब्जी भी यहीं से जा रही है. पड़ोस में भी सब्जी दे देते हैं.
सब्जी से मिलते हैं अच्छे दाम
कई जगहों पर हम अपनी सब्जी को देकर आते हैं जिससे उन्हें अच्छे दाम मिल जाते हैं. सब्जियों को बेचने के बारे में जब उनसे सवाल पूछा गया था. उन्होंने कहा कई वैज्ञानिकों से हम जुड़े हुए हैं वह हमें फोन कर देते हैं और हम उनके घर में सब्जियां पहुंचा देते हैं. सबसे बड़ा बदलाव है हम बीमारियों से बच रहे हैं. सुरेंद्र अब ठेके पर जमीन लेकर किचन गार्डन को बड़े स्तर पर करना चाहता हैं और अपने सपने को सरकार भी करना चाहता है.
'ठीक से हो रहा गुजर-बसर'
सुरेंद्र की जिंदगी में बदलाव लाने वाले और मजदूर से किसान बनाने वाले डॉक्टर राजेंद्र सिंह ने बताया कि सुरेंद्र ने भी बहुत मेहनत की जिसके बाद अब सुरेंद्र अपने और अपने परिवार का गुजर बसर ठीक तरीके से कर पा रहे हैं. जब कोरोना आया तब हमनें महिलाओं को खेती करने के लिए पैकेट दिए. उसमें ये फायदा हुआ एक तो उनका खर्चा बचा है. साथ-साथ बच्चों और पूरे परिवार को काम करने का मौका मिला. 2022 में प्राकृतिक खेती की और काफी महिलाओं ने इसमे उत्साह दिखाया.
उन्होंने कहा कि पुरुषों से अधिक महिलाओं में खेती करने को लेकर काफी उत्साह है. 100 के करीब महिलाएं छोटी जगह में किचन गार्डन में सब्जी लगा रही हैं.