CM Nayab singh saini का शिक्षा विभाग को लेकर बड़ा बयान
हरियाणा सरकार ने स्कूलों में शिक्षकों की संख्या को बेहतर ढंग से व्यवस्थित करने के लिए रेशनलाइजेशन (संशोधन) किया है। अब सरकार गैर-शिक्षकीय (जो पढ़ाते नहीं हैं) कर्मचारियों की संख्या कम करने की तैयारी कर रही है।
इसी कारण मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) ने शिक्षा विभाग से यह जानकारी मांगी है कि वहां कितने गैर-शिक्षकीय कर्मचारी काम कर रहे हैं। इसके बाद पांच हजार से ज्यादा पद खत्म किए जा सकते हैं। जिला शिक्षा अधिकारियों को अपने-अपने जिलों में ऐसे कर्मचारियों का ब्योरा भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
शिक्षा निदेशालय की ओर से एससीइआरटी गुरुग्राम और सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा शिक्षा विभाग में कार्यरत सभी अधिकारियों व कर्मचारियों की सूची मांगी गई है। एचआरएमई-1 और एचआरएमई-2 शाखा से संबंधित अधीक्षक, उप अधीक्षक, सीनियर स्केल स्टेनोग्राफर, जूनियर स्केल स्टेनोग्राफर, स्टेनो टाइपिस्ट, सहायक, सांख्यिकी सत्ययक, ड्राइवर, लैब अटेंडेंट और लिपिक की जानकारी देने को कहा जा चुका है।
हरियाणा शिक्षा विभाग में रेशनेलाइजेशन का मतलब है शिक्षकों और छात्रों के अनुपात को बेहतर बनाने के लिए स्कूलों में शिक्षकों के पदों का पुनर्वितरण करना, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सके। रेशनेलाइजेशन का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर स्कूल में पर्याप्त संख्या में शिक्षक उपलब्ध हों, जिससे शिक्षक-छात्र अनुपात सुधारा जा सके।
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हरियाणा सरकार ने हाल ही में सरकारी विभागों में पदों के रेशनेलाइजेशन की प्रक्रिया शुरू की है, जिसकी शुरुआत शिक्षा विभाग से हुई है। इसमें जेबीटी, पीआरटी और मुख्य शिक्षकों के पदों को स्कूलों की संख्या और छात्रों की संख्या के अनुसार समायोजित किया जाता है।
हरियाणा सरकार ने रेशनेलाइजेशन में शिक्षक-छात्र अनुपात 1:25 रखने का निर्णय लिया है। कुछ मामलों में, नियमों में ढील देकर मुख्य शिक्षक डेढ़ सौ से कम छात्रों पर भी नियुक्त किए जा सकते हैं।
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