पंजाबी कॉमेडी किंग जसविंदर भल्ला का निधन:65 साल की उम्र में ली आखिरी सांस
पंजाब के कॉमेडी किंग डॉ. जसविंदर भल्ला (65) का शुक्रवार को देहांत हो गया। परसों रात (20 अगस्त) को डॉ. जसविंदर भल्ला को ब्रेन स्ट्रोक आया था, जिसके बाद उन्हें मोहाली के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया। कल रात से उनकी तबीयत ज्यादा खराब थी। आज सुबह करीब चार बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
परिवार के अनुसार, उनका अंतिम संस्कार मोहाली में कल (23 अगस्त) दोपहर 1 बजे किया जाएगा। बताया जा रहा है कि भल्ला की बेटी 10 दिन पहले ही यूरोप गई थी। पिता के निधन के बाद अब वे लौट रही हैं। आज शाम तक वह मोहाली पहुंच जाएंगी, जबकि बेटा घर पर ही है।
उधर, पंजाब सीएम भगवंत मान ने भी जसविंदर भल्ला के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने कहा कि जसविंदर भल्ला का अचानक इस दुनिया से चले जाना बेहद दुखद है। छणकाटों की छनकार के बंद होने से मन दुखी है। वाहेगुरु उन्हें अपने चरणों में स्थान प्रदान करें। चाचा चतरा हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे।
बता दें कि जसविंदर भल्ला का जन्म 4 मई 1960 को लुधियाना के दोराहा में हुआ था। उन्होंने 1988 में "छणकाटा 88" से कॉमेडियन के रूप में करियर की शुरुआत की। इसके बाद फिल्म "दुल्ला भट्टी" में एक्टर भी बने।
पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रह चुके
जसविंदर भल्ला पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (PAU) में प्रोफेसर रहे। वे PAU के ब्रांड एंबेसडर भी बने और अपने कार्यकाल में उन्होंने विश्वविद्यालय की तकनीकों और साहित्य को किसानों तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया। उनका पूरा फोकस कृषक समुदाय की सेवा और जागरूकता बढ़ाने पर रहा।
स्टूडेंट ने जसविंदर भल्ला के बारे में बताईं 3 अहम बातें....
लेक्चर में सीरियस रहते थे भल्ला: जसविंदर भल्ला को चाहे सभी ने एक कॉमेडियन के तौर पर देखा है, लेकिन वे प्रोफेसर भी थे। उनके एक स्टूडेंट निर्मल जोड़ा ने अपने आर्टिकल में लिखा कि कॉलेज का पहला दिन और डॉ. भल्ला का पहला लेक्चर था। सभी एक हास्य कलाकार से पढ़ने के लिए उतावले थे। सभी सोचते थे कि जिस तरह वह पर्दे पर हैं, वैसे ही कक्षा का माहौल होगा। लेकिन नहीं, पूरा सेमेस्टर उसी तरह पढ़ाई हुई, जैसे अन्य विषयों की होती है। पहले दिन से ही उन्होंने लेक्चर में हास्य कलाकार की झलक नहीं आने दी।
उलझी बातों को सीधे और सरल ढंग से पेश करने के महारथी: निर्मल जोड़ा बताते हैं कि वे कभी खेतीबाड़ी विभाग में इंस्पेक्टर थे। जिसके चलते वह पंजाब को बेहतर तरीके से जानते थे। वे अपने कंटेंट को बेहतर तरीके से तैयार कर समझाते थे। वे स्टूडेंट्स को समझाते थे कि लोगों के साथ कैसे बात करनी है और कैसे उनमें घुलना मिलना है। वे इसकी रिहर्सल भी करवाते थे, ताकि किसी गांव में जाने पर स्टूडेंट्स की बात किसी को चुभ ना जाए।

प्रैक्टिकल से पहले छात्रों को समझाई थी सादगी: उन्होंने बताया कि प्रैक्टिकल गांव में होते थे। एक बार प्रैक्टिकल से एक दिन पहले डॉ. भल्ला ने कहा था कि कल प्रैक्टिकल के लिए हम सिधवां, मंडियाणी, भरोवाल और विरकी जाएंगे। साधारण कपड़े पहन कर आना। अगर किसी ने फैशन किया तो गांव वाले आगे से बात नहीं करेंगे, नुक्ताचीनी भी करेंगे।


