संभावित बाढ़ रोकथाम प्रबंध – कोई भी अधिकारी डिप्टी कमिश्नर की लिखित अनुमति के बिना स्टेशन नहीं छोड़ेगा

संभावित बाढ़ रोकथाम प्रबंध – कोई भी अधिकारी डिप्टी कमिश्नर की लिखित अनुमति के बिना स्टेशन नहीं छोड़ेगा

संगरूर, 23 जून (000) –
आगामी मानसून सीजन के दौरान संभावित बाढ़ जैसी स्थिति से निपटने के लिए डिप्टी कमिश्नर श्री संदीप ऋषि ने समस्त जिला स्तरीय और अधीनस्थ अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे उनकी लिखित अनुमति के बिना स्टेशन नहीं छोड़ेंगे। इस आदेश की अवहेलना करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी। इस संदर्भ में डिप्टी कमिश्नर ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की और समय पर सभी कार्य पूरे करने के निर्देश दिए।

इस बैठक में अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर (जनरल) श्री अमित बैंबी, अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर (विकास) श्री सुखचैन सिंह पपड़ा, सभी एस.डी.एम. और विभिन्न विभागों के जिला प्रमुख उपस्थित थे।

डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि मौसम विभाग के अनुसार पंजाब में 1 जुलाई को मानसून आने की संभावना है और इस बार पिछले वर्षों की तुलना में अधिक बारिश की आशंका है। ऐसे में यदि बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न होती है तो तत्काल राहत कार्य शुरू करने होंगे। उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारी बिना सूचना के स्टेशन छोड़ देते हैं, जिससे राहत कार्य प्रभावित हो सकते हैं। इस कारण उन्होंने आदेश दिया कि कोई भी अधिकारी बिना अनुमति स्टेशन न छोड़े। साथ ही, उन्होंने बैठक में अनुपस्थित अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने को भी कहा।

श्री संदीप ऋषि ने कहा कि किसी भी गंभीर स्थिति से निपटने के लिए एक सुदृढ़ योजना होना आवश्यक है। उन्होंने अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर (जनरल) को जिला आपदा प्रबंधन योजना के अनुसार कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बाढ़ जैसी स्थिति से बचने के लिए घग्गर नदी, जो जिले से होकर गुजरती है, की सफाई का कार्य 30 जून से पहले पूरा कर लिया जाए। इसी प्रकार, साइफन और प्रभावित गांवों के छप्पड़ों की सफाई भी शीघ्र पूरी की जाए।

घरों में पानी न घुसे, इसके लिए गलियों व नालियों की सफाई भी आवश्यक है। सभी एस.डी.एम. को निर्देश दिए गए कि वे संभावित बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का व्यक्तिगत रूप से दौरा करें।

जैसे गांवों में बाढ़ से बचाव की तैयारी होती है, वैसे ही शहरों में भी वर्षा जल से सुरक्षा जरूरी है। इसलिए शहरों के सीवरेज व गलियों-नालियों की सफाई तुरंत शुरू की जाए। इस कार्य के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई सुपर सक्शनिंग व जेटिंग मशीनों का पूरा उपयोग किया जाए। इन मशीनों का संचालन सीवरेज बोर्ड की जिम्मेदारी है।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि शहरों में जलभराव हुआ तो संबंधित कार्यकारी अधिकारी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे।

अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर (विकास) को निर्देश दिए गए कि उनके स्तर पर यदि मनरेगा के तहत कार्यों की स्वीकृतियां लंबित हैं, तो उन्हें तुरंत जारी किया जाए। ड्रोन सर्वे के आधार पर सफाई संबंधी कार्य तुरंत शुरू किए जाएं।

मानसून से पहले संभावित बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 50 हजार रेत की बोरियां भरकर स्टॉक में रखने के आदेश दिए गए हैं, ताकि किसी भी आपात स्थिति में इनका तुरंत उपयोग हो सके।

डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि तहसील व जिला स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित किए जा चुके हैं। राहत कैंपों की सूची, संचार योजना, हॉटस्पॉट स्थलों की सूची भी तैयार की जा चुकी है।

मुख्य कृषि अधिकारी व डिप्टी डायरेक्टर, पशुपालन विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि पशुओं के लिए हरे व सूखे चारे की व्यवस्था की जाए।

उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि तय समय पर सभी प्रबंध पूरे नहीं होते तो बाद में एक-दूसरे पर दोषारोपण बिल्कुल भी सहन नहीं किया जाएगा।

ड्रैनेज विभाग के एक्सईएन श्री गुंदीप बांसल ने बैठक में बताया कि घग्गर नदी में 25,000 क्यूसिक पानी की वहन क्षमता है। पिछले साल जल स्तर 745-746 फुट तक पहुंच गया था। इस बार भी अनुमान है कि जलस्तर इससे नीचे ही रहेगा।

उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष मकरोड़ साहिब से कड़ैल तक बांध को 15 फुट चौड़ा किया गया था। इस वर्ष भी शेष बांधों को मजबूत किया जा रहा है।

डिप्टी कमिश्नर ने भरोसा जताया कि मकरोड़ साहिब से कड़ैल तक बांध की चौड़ाई बढ़ाने से इस बार स्थिति को बेहतर ढंग से नियंत्रित किया जा सकेगा।