पंजाब पुलिस द्वारा महिला पुलिस को मुख्यधारा में लाने के लिए राज्य-व्यापी प्रशिक्षण प्रोजेक्ट शुरू

पंजाब पुलिस द्वारा महिला पुलिस को मुख्यधारा में लाने के लिए राज्य-व्यापी प्रशिक्षण प्रोजेक्ट शुरू


चंडीगढ़, 4 दिसंबर:


पंजाब पुलिस द्वारा एक ऐतिहासिक पहल में “मेनस्ट्रीमिंग ऑफ वूमन पुलिस” प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य पूरे राज्य में महिला पुलिस अधिकारियों की भूमिका और एकीकरण का व्यापक मूल्यांकन करना और इसे और बेहतर बनाना है। यह प्रोजेक्ट 2 से 4 दिसंबर 2025 तक पंजाब पुलिस अकादमी (पीपीए), फिल्लौर में आयोजित तीन दिवसीय ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर्स (टीओटी) कार्यक्रम के साथ शुरू किया गया।

टीओटी प्रोग्राम पंजाब पुलिस के कम्युनिटी अफेयर्स डिवीजन (सीएडी) विंग द्वारा हर्टेक फाउंडेशन की साझेदारी में आयोजित किया गया था। इस दौरान लगभग 60 मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षण दिया गया, जिनमें पंजाब के 13 जिलों से आए चार वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी शामिल थे। अब ये अधिकारी अपने-अपने जिलों में प्रशिक्षण देने के लिए जिम्मेदार होंगे।

प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में पुलिस की व्यक्तित्व निर्माण, लैंगिक संवेदनशीलता, वंचित वर्गों को न्याय दिलाने में पुलिस की भूमिका और पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान पुलिस बल में महिला अधिकारियों को मुख्यधारा में लाने संबंधी रणनीतियाँ शामिल थीं।
साथ ही पुलिस में पेशेवर रूप से महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने हेतु वरिष्ठ अधिकारियों की जिम्मेदारियों पर विशेष जोर दिया गया।

इस पहल के महत्व के बारे में बोलते हुए विशेष डीजीपी, कम्युनिटी अफेयर्स डिवीजन (सीएडी) गुरप्रीत कौर दियो ने कहा कि यह अहम प्रोजेक्ट “मेनस्ट्रीमिंग ऑफ वूमन पुलिस” पहल का हिस्सा है, जिसके तहत भारत सरकार की महिला हेल्पडेस्क प्रोजेक्ट की देशव्यापी सफलता के आधार पर पंजाब के सभी 384 पुलिस स्टेशनों में दो-दो महिला अधिकारियों को नियुक्त किया गया है।

प्रशिक्षण के प्रभाव के वैज्ञानिक मूल्यांकन को सुनिश्चित करने के लिए पंजाब पुलिस ने गैर-सरकारी संगठन जे-पाल (अब्दुल लतीफ जमी़ल पॉवरटी एक्शन लैब) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो कि रैंडमाइज्ड कंट्रोल्ड ट्रायल (आरसीटी) के माध्यम से नीति विश्लेषण में माहिर है।

इस प्रोजेक्ट के तहत राज्य के 288 पुलिस स्टेशन एक राज्य-स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेंगे, जिसमें सीएडी विंग द्वारा प्रशिक्षित और हर्टेक फाउंडेशन के सहयोग से तैयार किए गए लगभग 100–120 मास्टर ट्रेनर्स पूरे प्रदेश के 288 पुलिस स्टेशनों में प्रशिक्षण देंगे।
इसमें समाज में महिलाओं की भूमिका, पुलिस बल में महिलाओं की कम संख्या, लैंगिक रूढ़िवादिता और पुलिसिंग सब-कल्चर से संबंधित जानकारी दी जाएगी।

पुलिसिंग सब-कल्चर में—
कानून और व्यवस्था बनाए रखना,
अपराध की समझ और रोकथाम,
गैंगस्टरों और नशे के सौदागरों से निपटना,
आतंकवाद आदि पर विशेष ध्यान दिया गया है।

जबकि तुलनात्मक रूप से पुलिस की आवश्यकता वाले उभरते क्षेत्रों जैसे साइबर-अपराध,
महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के खिलाफ अपराध,
ट्रैफिक मुद्दे,
पुलिस व्यवहार व प्रतिक्रिया और
पुलिस की व्यक्तित्व—
पर कम ध्यान दिया गया है।

राज्य के लगभग 96 पुलिस स्टेशनों को कोई प्रशिक्षण नहीं दिया जाएगा और वे कंट्रोल पुलिस स्टेशन की भूमिका निभाएंगे।
इस प्रोजेक्ट के लिए चुने गए 120 मास्टर ट्रेनर्स को फरवरी 2026 में आधुनिक जानकारी के साथ प्रशिक्षित किया जाएगा, जिसके बाद ये मास्टर ट्रेनर्स मार्च से जून 2026 तक तीन चरणों में अपने-अपने जिलों के पुलिस स्टेशनों में चुने गए पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षण देंगे।

विशेष डीजीपी ने कहा कि पुलिस स्टेशनों में प्रशिक्षण शुरू होने से पहले जे-पाल द्वारा सभी 288 पुलिस स्टेशनों में महिला पुलिस कर्मचारियों के प्रति दूसरे पुलिस कर्मियों के विचारों, धारणा और लिंग-संवेदनशीलता संबंधी बेसलाइन सर्वेक्षण किया जाएगा।
जिला प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद, जे-पाल उन्हीं पुलिस उत्तरदाताओं और नागरिकों का एक और सर्वेक्षण करेगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि महिला अधिकारियों के प्रति पुलिस अधिकारियों के दृष्टिकोण और लैंगिक मान्यताओं में कितना बदलाव आया है।

बाकी 15 जिलों के मास्टर ट्रेनर्स के लिए दूसरा टीओटी सत्र 22 से 24 दिसंबर 2025 को पीपीए फिल्लौर में आयोजित किया जाएगा।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य 2000 से अधिक पुलिस अधिकारियों को सीधे प्रशिक्षण देकर पंजाब में एक बेहतर और प्रभावी पुलिसिंग वातावरण को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत क्षमता विकसित करना है।
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